सार लेखन (Precis Writing Hindi)
जैसे-जैसे हम सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास की ओर बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हमारा आत्मिक विकास बाधित होता जा रहा है। हमारा वास्तविक विकास तभी संभव है, जब हम इन सभी क्षेत्रों-सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और आत्मिक में संतुलन बनाए रखकर निरंतर उत्कृष्टता की ओर अग्रसर रहें। वास्तव में, आत्मिक विकास के बिना किसी समाज, राष्ट्र के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि हम सभी समाज, राष्ट्र की चिंता किए बिना बस अपने-अपने आत्मिक विकास की जिम्मेदारी स्वयं उठाकर उसे उत्कृष्टता की ओर ले जाने की ठान लें, तो समाज और राष्ट्र का विकास स्वत: ही होता जाएगा; क्योंकि हममें से प्रत्येक इस समाज और राष्ट्र का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, और किसी भी समूह अथवा उस तंत्र का विकास वहां के घटकों पर ही पूरी तरह निर्भर करता है।
प्रश्न : (क) उपर्युक्त गद्यांश का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए।
(ख) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ग) किसी समाज अथवा राष्ट्र का विकास किस पर निर्भर करता है?