लघुकथा : बुरे कर्मों का फल
‘बुरे कर्मों का फल। ‘ विषय पर एक लघुकथा लिखिए।
एक बार एक भैंस और घोड़े में किसी बात पर विवाद हो गया। हालांकि दोनों एक ही वन में रहते थे और एक साथ ही घास चरने व पानी पीने जाते थे। लेकिन उस दिन दोनों में इतना विवाद बढ़ गया कि उनमें मारपीट की नौबत आ गयी। भैंस ने सींग मार-मारकर घोड़े को अधमरा कर दिया। हारकर घोड़ा वहाँ से भाग गया और एक मनुष्य के पास पहुँचा। उसने मनुष्य से अपनी सहायता की प्रार्थना की। मनुष्य ने भैंस के बड़े-बड़े सीगों के कारण भैंस से जीतने में अपनी असमर्थता जतायी।
तब घोड़े ने उस आदमी को एक उपाय बताते हुए कहा कि तुम एक मोटा डंडा लेकर मेरी पीठ पर बैठ जाओ। मैं तेजी से दौड़ता रहूँगा। तुम डंडे से मार-मारकर भैंस को अधमरा कर देना और फिर रस्सी से बाँध लेना। वह बड़ा मीठा दूध देती है। तुम उस दूध को पीकर ताकतवर बन सकते हो। उस आदमी ने घोड़े के कहे अनुसार भैंस को अधमरा कर बाँध लिया। तब घोड़े ने कहा अब तुम मेरे ऊपर से उतरो, मैं चरने जाऊँगा।
यह सुनते ही आदमी जोर-जोर से हँसने लगा और बोला कि मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं। मैं तुम पर सवारी करूँगा और भैंस का दूध पीऊँगा। तुम दोनों मेरी सेवा करना। घोड़े ने भैंस के साथ जैसा किया स्वयं भी वैसा ही पाया।
सच ही कहा गया है – बुरे कर्मों फल बुरा होता है।
सीख – हमें दूसरों के साथ सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए।