51. गड़े मुर्दे उखाड़ना : (पुरानी बातें याद करना) – गड़े मुर्दे उखाड़ते रहने से आपसी संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा।
52. गिरगिट की तरह रंग बदलना : (एक बात पर स्थिर न रहना) – आज के राजनेता गिरगिट की तरह रंग बदलने की कला में बड़े माहिर हो गए हैं।
53. गुड़ गोबर कर देना : (बना बनाया काम बिगाड़ देना) – तुम्हारे व्यवहार ने सारा गुड़ गोबर करके रख दिया।
54. गुदड़ी का लाल : (सामान्य व्यक्ति द्वारा असामान्य कार्य) – उच्च शिक्षा ग्रहण करके लौटे निरंजन को देखकर सबने कहा, यह तो गुदड़ी का लाल निकला।
55. गुल खिलाना : (घटिया काम करना) – वह जब भी आता है, कोई न कोई गुल खिला जाता है।
56. गुलछर्रे उड़ाना : (मौज-मस्ती करना) – सारा साल गुलछर्रे उड़ाते रहे, अब फेल होने पर रो क्यों रहे हो?
57. घर में गंगा बहना : (सभी कुछ सरलता से प्राप्त होना) – उसके घर में तो गंगा बहती है, उसने मजे करने ही थे।
58. घाट-घाट का पानी पीना : (बहुत अनुभव होना) – उसने घाट-घाट का पानी पी रखा है, उसका पार पा सकना संभव नहीं।
59. घड़ों पानी पड़ना : (बहुत शर्मिंदा होना) – नेता जी के सामने अपनी करतूतों का कच्चा चिट्ठा खुलते ही, उन पर जैसे घड़ों पानी पड़ गया।
60. घी के दीये जलाना : (बहुत खुशी मनाना) – श्रीराम के चौदह वर्ष का वनवास भोगकर लौटने पर अयोध्यावासियों ने घो के दीये जलाकर उनका स्वागत किया।
61. चंपत होना : (भाग जाना) – सिपाही को देखते ही चोर पर्स वहीं फेंककर चंपत हो गया।
62. घाव हरे होना : (बीते दुःख याद आना) – उसकी दुखभरी कहानी सुन नरेश के दिल के घाव फिर से हरे हो गए।
63. चादर के बाहर पैर पसारना : (शक्ति से अधिक करना) – बुद्धिमान व्यक्ति अपनी चादर के बाहर पैर नहीं पसारा करते।
64. चिकना घड़ा : (बेशर्म, प्रभावित न होने वाला) – उस चिकने घड़े पर अच्छी बातों का प्रभाव नहीं पड़ने वाला।
65. चूड़ियाँ पहनना : (स्त्री-भाव दिखाना) – नेता और समर्थ होकर भी यदि जन समस्याएँ हल नहीं कर सकते, तो छोड़ो राजनीति और चूड़ियाँ पहनकर घर में बैठ जाओ।
66. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना : (घबरा जाना) – सरकस का शेर देखते ही अमिता के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
67. चींटी के पर निकलना : (मौत निकट आना) – लगता है, चींटी के भी पर निकल आए हैं, तभी तो उस लठैत को ललकार रहे हो।
68. छक्के छुड़ाना : (हरा देना) – इस बार लोकसभा के चुनाव में देश की जनता ने बड़े-बड़ों के छक्के छुड़ा दिए।
69. छठी का दूध याद आना : (अत्यधिक घबरा जाना) – कम पढ़ने वाले छात्रों को प्रश्नपत्र देखते ही छठी का दूध याद आने लगा।
70. छाती पर मूँग दलना : (किसी को लगातार दुःख देना) – क्यों इस तरह का घटिया व्यवहार कर उसकी छाती पर मूँग दलते रहते हो?
71. छप्पर फाड़कर देना : (अकस्मात् धन आ जाना) – देने वाला जब देता है, तो छप्पर फाड़कर दिया करता है।
72. जान के लाले पड़ना : (घोर विपत्ति में फँसना) – व्यापार में हानि होने के कारणमनोहरलाल को जान के लाले पड़ रहे हैं।
73. जीती मक्खी निगलना : (जान-बूझकर गलती करना) – कई बार धोखा खाकर भी सुधीर से साझीदारी करके क्यों जीती मक्खी निगलना चाहते हो?
74. जूतियाँ चाटना : (खुशामद करना) – वह अपने घर-परिवार को भूलकर भाई-भाभी की जूतियाँ चाट रहा है।
75. टका सा जवाब देना : (साफ इन्कार करना) – मैंने जब ज्ञान से पुस्तक माँगी, तो टका-सा जवाब देते उसे तनिक भी शर्म नहीं आई।
76. टोपी उछालना : (अपमान करना) – दूसरों की टोपी उछालते रहने वाले तभी समझ पाते हैं, जब उनके अपने ऊपर बन आती है।
77. ठनठन गोपाल : (धन का नितांत अभाव) – खुद ठनठन गोपाल रहने वाला व्यक्ति किसी की सहायता क्या करेगा?
78. डकारना : (हड़प कर लेना) – पता नहीं, नटवरलाल किस-किस का क्या-क्या डकार चुका है।
79. डूबते को तिनके का सहारा : (मुसीबत में थोड़ी सहायता पा जाना) – अमेरिका से आया उसका भाई ही उसके लिए डूबते को तिनके का सहारा सिद्ध हुआ।
80. तिल का ताड़ बनाना : (सामान्य बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना) – कुछ भी हो, वह तिल का ताड़ बनाए बिना चैन से रह ही नहीं पाता।
81. तीन-तेरह होना : (बिखर जाना) – जुए की आदत का ही नतीजा है कि उसका जमा-जमाया कारोबार तीन-तेरह होकर रह गया है।
82. थाली का बैंगन : (विचार स्थिर न होना) – थाली के बैंगन की तरह लोग बड़ी-बड़ी बातें तो बना सकते हैं, व्यवहार में कुछ कर नहीं पाते।
83. दाँत खट्टे करना : (बुरी तरह हराना) – भारत के जवानों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दाँत खट्टे कर दिए।
84. दाँतों तले उंगली दबाना : (आश्चर्यचकित होना) – प्रकृति के अनूठे दृश्य देखकर दाँतों तले उंगली दबाकर रह जाना पड़ता है।
85. दाल में काला होना : (कुछ गड़बड़ होना) – वहाँ ज़रूर कुछ दाल में काला है, तभी तो लोग भागे जा रहे हैं।
86. दाल न गलना : (सफल न होना) – जाकर किसी और को ढूँढ़ो, यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलने वाली।
87. धोती ढीली होना : (घबरा जाना) – लेनदारों को सामने देखते ही देनदार की धोती ढीली होने लगी।
88. नाकों चने चबवाना : (बहुत तंग करना) – महाराणा प्रताप हल्दीघाटी में सम्राट अकबर की सेना को नाकों चने चबवाते रहे।
89. नाक रखना : (मान बचाना) – अच्छे कार्य करके अपने देश की नाक रखना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होता है।
90. नौ-दो ग्यारह होना : (भाग जाना) – प्राचार्य महोदय को देखते ही शोर करने वाले छात्र नौ-दो ग्यारह हो गए।
91. पाला पड़ना : (सामना होना) – तुम्हारा जब छोटू पहलवान से पाला पड़ेगा, तब उसकी वास्तविकता जान पाओगे।
92. पापड़ बेलना : (तंगी से जीवन बिताना) – जीवन जीने के लिए कितने और कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं, यह कोई भुक्तभोगी ही जानता है।
93. पाँचों उँगलियाँ घी में होना : (बहुत लाभ होना) – चंदप्रकाश ने जबसे कारोबार बदला है, उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।
94. पेट में चूहे कूदना : (बहुत भूख लगना) – पहले भोजन दो फिर काम; मेरे पेट में तो चूहे कूद रहे हैं।
95. बगलें झाँकना : (कुछ भी उत्तर न सूझना) – अध्यापिका सत्येंद्र से कक्षा में जब भी कोई प्रश्न पूछती है, वह बगलें झाँकता नज़र आता है ।
96. बंदर घुड़की : (झूठा डर दिखाना) – भारत पाकिस्तान की बंदर घुड़कियों से नहीं डरता ।
97. बाल की खाल उतारना : (गहरी आलोचना करना) – बाल की खाल उतारने से क्या लाभ, जो जैसा मानता है, मानने दो ।
98. बाज़ार गरम होना : (अधिकता होना) – यहाँ किसी न किसी बात को लेकर बाज़ार हमेशा गरम रहता है, होता कुछ भी नहीं।
99. भीगी बिल्ली बनना : (डर जाना) – यों भीगी बिल्ली बनने से काम नहीं चलेगा, परिस्थितियों का सामना करके ही कुछ पा सकोगे।
100. मुट्ठी गरम करना : (रिश्वत देना) – मुट्ठी गरम किए बिना आज कार्य करवा पाना संभव नहीं है।
101. रंगा सियार : (धोखेबाज़) – सज्जन के वेश में घूमने वाले रंगे सियारों से बच पाना बड़ा कठिन होता है।