पर्वत प्रदेश में पावस
पर्वत प्रदेश में पावस – सुमित्रानंदन पंत
धँस गए धरा में सभय शाल !
उठ रहा धुआँ, जल गया ताल !
-यों जलद यान में विचर- विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
प्रश्न 1. शाल के वृक्ष किससे भयभीत होकर धरती में धँस गए हैं?
प्रश्न 2. ‘जलद यान’ का क्या अर्थ है?
प्रश्न 3. कविता का नाम बताइए।
प्रश्न 4. ‘विचर – विचर’ में कौन सा अलंकार है?