संवेदना पत्र : मित्र के पिता जी के असामयिक निधन पर मित्र को सांत्वना – पत्र
मित्र के पिता जी के असामयिक निधन पर मित्र को सांत्वना – पत्र लिखिए
11, रोशनारा मार्ग
लखनऊ
दिनांक : 10 अगस्त, 20XX
प्रिय मित्र
नमस्कार
मुझे अभी-अभी तुम्हारा दुख-भरा पत्र प्राप्त हुआ। तुम्हारे पिताजी के असामयिक स्वर्गवास के दुखद समाचार को पढ़कर मन वेदना से भर गया। मुझे स्वप्न में भी ऐसी आशा न थी कि वे हमें निराश्रित कर इतना शीघ्र स्वर्गारोहण करेंगे। खैर, जो ईश्वर की इच्छा।
पूज्य अंकलजी का मुझ पर विशेष स्नेह था। उनका मुस्कराता एवं खिला-खिला चेहरा अब भी मेरी आँखों के आगे घूम रहा है। जब पिछले दिनों मैं तुम्हारे घर आया था, तो वे देर रात तक मेरी पढ़ाई एवं भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते रहे थे। उनके द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मेरे जीवन का प्रेरणा-स्रोत बन गया है।
मित्र ! अब तुम्हें बहुत हिम्मत से काम लेना होगा, क्योंकि घर की ज़िम्मेदारियाँ तुम्हारे कंधों पर आ गई हैं। पूज्या माताजी एवं अनुजा, नीरजा का विशेष ध्यान रखना होगा। ईश्वर से मेरी यही प्रार्थना है कि वह तुम्हें और तुम्हारे परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। इस संकट की घड़ी में अपने माता-पिता के साथ मैं तुम्हारे पास शीघ्र पहुँच रहा हूँ। अपने को अकेला एवं निस्सहाय मत समझना। संकट के समय में मनोबल ही कार्य करता है।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
विनय