लेख : कमरतोड़ महँगाई


कमरतोड़ महँगाई

महँगाई का कारण – वर्तमान समय में निम्न  – मध्यम वर्ग महँगाई की समस्या से त्रस्त है। महँगाई भी ऐसी, जो रुकने का नाम ही नहीं लेती, यह तो सुरसा के मुख तरह बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार का महँगाई पर कोई नियंत्रण रह ही नहीं गया है। महँगाई बढ़ने के कई कारण हैं, यथा- जनसंख्या वृद्धि, जमाखोरी, मुद्रास्फीति, रुपए का अवमूल्यन आदि।

माँग और आपूर्ति में अंतर – उत्पादन में कमी तथा माँग में वृद्धि होना महँगाई का प्रमुख कारण है। कभी-कभी सूखा, बाढ़ तथा अतिवृष्टि जैसे प्राकृतिक प्रकोप भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। वस्तुओं की जमाखोरी भी महँगाई बढ़ने का प्रमुख कारण हैं। जमाखोरी से शुरू होती है – कालाबाजारी, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली तथा अंधाधुन्ध मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति।

सरकारी नीति – सरकारी अंकुश का अप्रभावी होना भी महँगाई तथा जमाखोरी को बढ़ावा देता है। सरकार अखबारों में तो महँगाई कम करने की बात करती है पर वह भी महँगाई बढ़ाने में किसी से कम नहीं है। सरकारी उपक्रम भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाते रहते हैं।

बढ़ती महँगाई के दुष्परिणाम – इस जानलेवा महँगाई ने आम नागरिकों की कमर तोड़कर रख दी है। अब उसे दो जून की रोटी जुटाना तक कठिन हो गया है। पौष्टिक आहार का मिलना तो और भी कठिन हो गया है। महँगाई बढ़ने का एक कारण यह भी है कि हमारी आवश्यकताएँ तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम किसी भी दाम पर वस्तु खरीद लेते हैं, इससे जमाखोरी और महँगाई को बढ़ावा मिलता है। महँगाई को सामान्य व्यक्ति की आय के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। महँगाई के लिए अंधाधुंध बढ़ती जनसंख्या भी उत्तरदायी है। इस पर भी नियंत्रण करना होगा।