पाठ के शब्दार्थ : तुम कब जाओगे अतिथि
तुम कब जाओगे अतिथि : शरद जोशी
आगमन-आना।
चतुर्थ-चौथा।
निस्संकोच – बिना शर्म के।
विगत-बीता हुआ।
सतत – लगातार।
आतिथ्य – अतिथि सत्कार।
संभावना-उम्मीद।
एस्ट्रॉनाट्स – अंतरिक्ष यात्री।
अंकित – छापा।
आर्थिक सीमा – धन संबंधी सीमा।
अज्ञात – अनजान।
आशंका – भय।
मेहमाननवाजी-अतिथि सत्कार।
आग्रह– अनुरोध।
गरिमा – गौरव।
छोर – किनारा।
आघात – चोट।
अप्रत्याशित-जिसकी आशा न हो।
मार्मिक – हृदय को छूनेवाली।
वेला-समय।
औपचारिक – दिखावटी।
निर्मूल-निराधार।
सलवट-मुड़ने के निशान।
चुक जाना – समाप्त होना।
जिक्र – चर्चा।
सौहार्द – मित्रता।
बोरियत-बोर होना।
रूपांतरित-बदला हुआ।
ऊष्मा-गर्मी।
गोलाकार-गोले का आकार।
उपवास-व्रत।
महत्ता-महत्व।
गुंजायमान – गूँजता हुआ।
किरण-सूर्य की रोशनी।