पाठ का सार : दोहे
दोहे – रहीम जी
रहीम के नीति के दोहे अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अनुभव के आधार पर दोहे की रचना की है। इसमें उन्होंने मानव जीवन के लिए उपयोगी सभी बातों का बड़ा मार्मिक वर्णन किया है।
• उन्होंने अपने पहले दोहे के माध्यम से प्रेम संबंधों को कभी न तोड़ने की प्रेरणा दी है।
• दूसरे दोहे में उन्होंने अपने मन की पीड़ा को मन में ही छिपाकर रखने की प्रेरणा दी है।
• तीसरे दोहे में बताया गया है कि एक परमात्मा का ध्यान करने से अन्य सब कार्य भी पूर्ण रूप से संपन्न हो जाते हैं।
• चौथे दोहे में चित्रकूट को शांतिदायक और दुख निवारक स्थान कहा गया है।
• पाँचवें दोहे के अनुसार थोड़े से अक्षरों में गहरा अर्थ छिपा होता है।
• छठे दोहे में जिसकी जहाँ प्यास बुझती है, वही उसके लिए सागर के समान होता है।
• सातवें दोहे में जो लोग प्रसन्न होने पर भी दान नहीं करते, वे पशु से भी हीन हैं।
• आठवें दोहे में बिगड़ी हुई बात लाख सँवारने पर भी नहीं सँवरती।
• नवें दोहे में बड़ों के प्रभाव के सामने छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
• दसवें दोहे में विपत्ति के समय अपनी पूँजी ही सहायक होती है।
• ग्यारहवें दोहे में पानी, चमक और सम्मान-इन तीनों का जीवन में महत्त्व सर्वोपरि है।