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परम्परागत स्टोरी टेलिंग कायम रहनी चाहिए

पहले बुजुर्ग बच्चों को बहुत सारी बातें कहानियों के माध्यम से बता दिया करते थे। आज के समय में यह प्रचलन बहुत कम हो गया है। कई बार कम शब्दों में भी कहानियाँ अपने अंदर गहरा अर्थ समेटे रहती हैं।उसी तरह की एक कहानी आगे पढ़िए।

बड़े और छोटे बच्चों को कहानी सुनाते हुए एक बुजुर्ग ने बड़े बच्चों की तरफ देखे बिना छोटे बच्चों से पूछा,”आपके शरीर का कौन सा भाग पेड़ पर लगे हुए आम देखता है ?”

बच्चों ने कोरस में जवाब दिया, “आंखें

वे कहते, “बिल्कुल ठीक” और सवाल पूछना जारी रखते, “शरीर का कौन सा अंग आपको पेड़ की ओर ले जाता है ?”

बच्चे कहते, “पैर

और कहानी कहने वाले सज्जन कहते, “अपने लिए तालियां बजाएं, क्योंकि आपका जवाब फिर सही है। एकदम सही है कि पैर ही आपको पेड़ की ओर ले जाते हैं।”

वे फिर पूछते, “कौन सा अंग पेड़ से आम तोड़ता है?”

पहले जवाब के सही होने से उत्साहित बच्चे अब और भी ऊंचे स्वर में कहते, “हाथ।”

फिर बुजुर्ग पूछते, “शरीर का कौन सा अंग आम खाता है ?”

बच्चे कहते, “मुँह

वे उनके जवाब पर तालियां बजाते और फिर पूछते, “हाथों से तोड़े गए और मुँह से खाए गए उन आमों को शरीर के कौन से भाग ने पचाया।”

बच्चे खिलखिलाते और कहते, “पेट

फिर वे कुछ देर इस तरह रूकते, जैसे वे कोई रहस्य उजागर करने वाले हों। उनके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान होती और फिर वे नाटकीय अंदाज़ में कहते,

फिर माली आपके घर आता है और आपके पिता जी से आपकी शिकायत करता है कि उसने तुम्हें फल चुराते हुए देखा है। इससे क्रोधित पिता छड़ी उठाते हैं और चोरी करने पर तुम्हारी पिटाई करते हैं। लेकिन आम खाने पर पिटाई नहीं करते। इस पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। अब मुझे बताओ कि किसे सज़ा मिली और कौन दर्द में है ?”

बच्चे पीठ को रगड़कर इशारा करते। जाहिर है बच्चे कहते, “हमारी पीठ” लेकिन उनका स्वर धीमा होता।

वे कहते, “हाँ ! आंशिक रूप से सही है, तुम्हारी पीठ को सज़ा मिलती है, पर आँखों से आंसू निकलते हैं। इसलिए हमको समझना चाहिए कि यदि अंतिम रूप से दोष आंखों का ही था तो आखिर में आंसू भी उसी से निकलेंगे।”

आंखों ने ही सबसे पहले आम देखे थे और बच्चों को उस तरफ आकर्षित किया था। इसलिए सबसे अधिक दोष आंखों का ही था। लेकिन वास्तव में हम बड़े उनके निशाने पर होते, जिन्हें वे कहना चाहते,

“परीक्षा में नकल मत करो।”

इस प्रकार छोटे बच्चों को कहानी सुनाते हुए उन्होंने बड़े बच्चों को बिना कोई तंज कसे एक अच्छी शिक्षा दी कि आंखों का इस्तेमाल बहुत ध्यान से करना चाहिए और परीक्षा में नकल नहीं करनी चाहिए।