पंचांग के बारे में कुछ तथ्य।

विक्रम संवत

इसके प्रणेता मालवा के सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य माने जाते हैं, जिन्होंने समस्त प्रजा का ऋण चुकाकर यह संवत शुरु किया था। यह 57 ईसापूर्व में शुरु हुआ था। इसे मालव संवत भी कहा जाता है। कालगणना सूर्य और चंद्र के आधार पर की जाती है। यह चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्र के साथ प्रारंभ होता है।

हिजरी संवत

इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने के लिए इस संवत का उपयोग होता है। इसमें कालगणना चन्द्रमा के आधार पर की जाती है। मोहर्रम माह के प्रथम दिन नववर्ष मनाया जाता है। 622 ईस्वी में पैगम्बर मोहम्मद के मक्का से मदीना जाने यानि हिजरत करने के दिन इस संवत की शुरूआत हुई, इसलिए इसे हिजरी संवत कहा जाता है।

शक संवत

चैत्र 1, 1879 यानि 22 मार्च 1957 को इसे भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में अपनाया गया। यह 78 ईस्वी में प्रारंभ हुआ था। सर्वाधिक प्रचलित मतानुसार इसे कुषाण राजा कनिष्क ने चलाया था। इसका प्रथम माह चैत्र और अंतिम फाल्गुन है। इसका सबसे प्राचीन शिलालेख चालुक्य वल्लभेश्वर का है, जिसकी तिथि 405 शक संवत है।

सप्तर्षि संवत

कश्मीर में इस संवत को लौकिक संवत भी कहते हैं। यह चंद्र-सौर संवत है और मतानुसार 3076 ईसापूर्व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को इसकी शुरुआत हुई। इस संवत के उपयोग में सामान्य शताब्दियाँ नहीं दी गई है। श्रीलंका के ग्रन्थ महावंश में उल्लेख है कि सम्राट अशोक का राज्याभिषेक सप्तर्षि संवत 6208 में हुआ था।

गुप्त संवत

गुप्त वंश के प्रतापी शासक चन्द्रगुप्त प्रथम द्वारा एक गुप्त संवत( 319-320 ईसवी) में चलाया गया था, जिसकी शुरुआत उनके राज्याभिषेक के दिन हुई थी। हालांकि यह संवत गुप्तकाल तक ही प्रचलन में रहा। शक संवत और गुप्त संवत में 241 वर्ष का अंतर है। गुप्त काल के अनेक शिलालेखों में गुप्त संवत की तिथियां उत्कीर्ण हैं।