नेल्सन मंडेला के सिद्धांत
- यदि कोई किसी सिद्धांत को एक बार सीख कर जीवन भर उसी पर अड़ जाएगा तो फिर नया सीखने की जरूरत ही क्या रह जाएगी। इसलिए इंसान को पुरानी परम्पराओं पर ही टिके रहने की जिद छोड़ देनी चाहिए।(भीष्म पितामह ने हमें जीवन की यह सबसे बड़ी सीख दी है, जिसे हमें ताउम्र याद रखना चाहिए।)
- जो भी नियम हम बनाते हैं, यदि वे अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें कचरा पेटी में डाल देना चाहिए।
हमें बदलावों और परिस्थितियों को स्वीकार करना सीखना चाहिए। इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसके बदलने की क्षमता में ही निहित है।
- नेल्सन मंडेला मानते थे कि एक लीडर के अंदर सुनने की कला होनी चाहिए। कोई भी लीडर हमेशा सही नहीं हो सकता और न ही लोगों को किसी लीडर से यह उम्मीद करनी चाहिए।
- नेल्सन मंडेला का कहना था कि हमें दूसरे लोगों की सोच और योग्यता पर भरोसा करना चाहिए। एक लीडर दूसरे के असहमत होने के अधिकार को नहीं छीन सकता।
- उनका मानना था कि किसी ने भी अगर आपके विरोध में कुछ बोल दिया है तो अपमानित महसूस नहीं करना चाहिए। कोई आपकी सलाह को मानने से मना कर दे तो उसे अपना दुश्मन नहीं समझना चाहिए।
- नेल्सन मंडेला का मानना था कि जब भी एक लीडर के रूप में आप कोई बड़ा या महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं तो कहीं न कहीं, कोई न कोई तो नाराज होता ही है। इससे लीडर को अनिर्णय की स्थिति का शिकार नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे किसी को नाराज या असन्तुष्ट नहीं करना चाहते।
- नेल्सन मंडेला कहते थे कि अगर सामने वाले के साथ 10 में से किन्हीं 2 बातों पर भी सहमति हो तो सहमति के उन 2 आधारों पर ही सामने वाले से दोस्ती कर लेनी चाहिए। उनका कहना था कि यदि 2 बातों पर सहमति होने से उन 2 मुद्दों पर कुछ प्रगति हो जाती है तो यह भी एक प्रकार की विजय ही है।
इससे यह साबित होता है कि इंजन की क्षमता से तय होता है कि डब्बे कितनी तेज गति से चलेंगे। एक बहुत बड़े विमान को किस गति और किस ऊंचाई पर उड़ना है, यह सिर्फ कॉकपिट में बैठा पायलट तय करता है।
एक संस्थान, एक दल या परिवार का भविष्य क्या होना चाहिए, अक्सर यह एक लीडर की सोच पर निर्भर करता है।