काव्यांश / पद्यांश
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
विघ्नों का दल चढ़ आए तो, उन्हें देख भयभीत न होंगे।
अब न रहेंगे दलित दीन हम, कहीं किसी से हीन न होंगे।।
क्षुद्र स्वार्थ की खातिर हम तो, कभी न गर्हित कर्म करेंगे।
पुण्य भूमि यह भारत माता, जग की हम तो भीख न लेंगे।।
मिसरी-मधु-मेवा-फल सारे, देती हमको सदा यही है।
कदली, चावल, अन्य विविध और क्षीर सुधामय लुटा रही है।।
(क) किसके आने पर भयभीत न होंगे?
(i) सिंह के आने पर
(ii) तूफ़ान आने पर
(iii) विघ्नों का दल चढ़ आने पर
(iv) रात आने पर
(ख) कवि क्या आशा करता है?
(i) भारत बहुत तरक्की करेगा
(ii) भारत में सुख और शांति का वास होगा
(iii) भारत में आपसी झगड़े न होंगे
(iv) भारतवासी दलित-दीन या किसी से हीन नहीं होंगे।
(ग) भारतवासी गर्हित कर्म ( निन्दनीय कार्य) किसकी खातिर नहीं करेंगे?
(घ) भारत माता हमें क्या देती है?
(ङ) ‘भयभीत’ में कौन-सा समास है?