काव्यांश / पद्यांश
दिए गए पद्यांश पर आधारित प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनकर लिखिए-
क्या कुटिल व्यंग्य ! दीनता वेदना से अधीर,
आशा से जिनका नाम रात-दिन जपती है,
दिल्ली के वे देवता रोज़ कहते जाते,
‘कुछ और धरो धीरज, किस्मत अब छपती है।’
किस्मतें रोज़ छप रहीं, मगर जलधार कहाँ ?
प्यासी हरियाली सूख रही है खेतों में,
निर्धन का धन पी रहे लोभ के प्रेत छिपे,
पानी विलीन होता जाता है रेतों में।
हिल रहा देश कुत्सा के जिन आघातों से,
वे नाद तुम्हें ही नहीं सुनाई पड़ते हैं?
निर्माणों के प्रहरियों !
तुम्हें ही चोरों के काले चेहरे क्या नहीं दिखाई पड़ते हैं ?
तो होश करो, दिल्ली के देवो, होश करो,
सब दिन तो यह मोहिनी न चलने वाली है,
होती जाती हैं गर्म दिशाओं की साँसें,
मिट्टी फिर कोई आग उगलने वाली है।
प्रश्न. कवि क्या चेतावनी दे रहा है?
(क) जनता क्रांति करने वाली है।
(ख) बहुत गर्मी पड़ रही है।
(ग) जनता की मदद करो।
(घ) खेत सूख रहे हैं अतः फ़सल कम होगी।
प्रश्न. शासक वर्ग को किसकी उपमा दी गई है?
(क) मानवता के देवता।
(ख) मंदिर के देवता।
(ग) दिल्ली के देवता।
(घ) करुणा के देवता।
प्रश्न. दिल्ली के देवता द्वारा ग़रीबों से क्या कहा जाता है?
(क) धैर्य धारण करने को
(ख) स्वयं प्रयास करने को
(ग) अमीरों से भिक्षा माँगने को
(घ) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न. उपरोक्त काव्यांश में कवि ने गरीब व्यक्तियों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
कथन (I) ग़रीबों को किसी की मदद नहीं चाहिए।
कथन (II) ग़रीब लोग कार्य करना नहीं चाहते।
कथन (III) ग़रीबों की दशा में सुधार इसलिए नहीं हो रहा क्योंकि बिचौलिए योजना का लाभ हड़प जाते हैं।
कथन (IV) ग़रीब अब अमीर बन चुके हैं।
निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कीजिए तथा सही विकल्प चुनकर लिखिए-
(क) केवल कथन (I) सही है।
(ख) केवल कथन (III) सही है।
(ग) केवल कथन (IV) सही है।
(घ) केवल कथन (II) सही है।