CBSEComprehension PassageEducationNCERT class 10thPoemsPoetryPunjab School Education Board(PSEB)ਅਣਡਿੱਠਾ ਪੈਰਾ (Comprehension Passage)

काव्यांश – क्षमा शोभती उस भुजंग को

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।

क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल,

सबका लिया सहारा।

पर नर-व्याघ्र, सुयोधन तुमसे

कहो, कहाँ कब हारा।

क्षमाशील हो रिपु समक्ष,

तुम हुए विनत जितना ही।

दुष्ट कौरवों ने तुमको,

कायर समझा उतना ही ॥

अत्याचार सहन करने का

कुफल यही होता है

पौरुष का आतंक मनुज

कोमल होकर खोता है।

क्षमा शोभती उस भुजंग को,

जिसके पास गरल हो।

उसको क्या, जो दंतहीन,

विषरहित, विनीत, सरल हो ।

तीन दिवस तक पथ माँगते,

रघुपति सिंधु-किनारे ।

बैठे पढ़ते रहे छंद,

अनुनय के प्यारे-प्यारे ॥

उत्तर में जब एक नाद भी

उठा नहीं सागर से

उठी अधीर धधक पौरुष की

आग राम के शर से।

सच पूछो, तो शर में ही

बसती है दीप्ति विनय की

संधि-वचन संपूज्य उसी का

जिसमें शक्ति विजय की ।


काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-


प्रश्न 1. सुयोधन ने किस – किस का सहारा लिया और क्यों? उसका परिणाम क्या हुआ?

प्रश्न 2. कौरवों की किस कमी की ओर कवि ने संकेत किया है?

प्रश्न 3. सन्धि वचन किसका पूजनीय है और क्यों?