कविता : मां का जीवन में
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है
माँ, माँ-माँ संवेदना है, भावना है, अहसास है,
माँ, माँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास है।
माँ, माँ रोते हुए बच्चे का खुशनुमा पलना है,
माँ, माँ मरूस्थल में नदी या मीठा सा झरना है।
माँ, माँ लोरी है, गीत है, प्यारी सी थाप है,
माँ, माँ पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।
माँ, माँ आँखों का सिसकता हुआ किनारा है,
माँ, माँ गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।
माँ, माँ झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
माँ, माँ मेहँदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है।
माँ, माँ कलम है, दवात है, स्याही है,
माँ, माँ परमात्मा की स्वयं एक गवाही है।
माँ, माँ त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
माँ, माँ फूँक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।
माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है।
माँ, माँ चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,
माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है।
माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,
माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है।
माँ, माँ चूल्हा – धुआँ – रोटी और हाथों का छाला है,
माँ, माँ जिन्दगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।
माँ, माँ पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
माँ बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।
माँ की ये कथा अनादि है
ये अध्याय नहीं है ….. और माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं है।
तो माँ का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नही सकता।
तो मैं कविता की ये पंक्तियाँ माँ के नाम करती हूँ,
और दुनिया की सभी माताओं को प्रणाम करती हूँ।