कविता : कोमल हाथों में थमाओ कलम
कोमल हाथों में थमाओ कलम
हाथ में उनको कलम उठाना अच्छा लगता है,
उनको भी सुबह – सुबह स्कूल जाना अच्छा लगता है।
बड़ा कर दिया गर्दिश ने वक्त से पहले उनको,
सिर पर किसको बोझ उठाना अच्छा लगता है।
रंग-बिरंगे खिलौनों से खेलना अच्छा लगता है,
बर्तन धोना, कूड़ा बीनना किसको अच्छा लगता है।
निष्ठुर नियति ने डाल दी इन फूलों पर धूल,
वर्ना उनको भी खिलकर मुस्काना अच्छा लगता है।
दोस्तों के साथ खेल कर थक जाना अच्छा लगता है,
अपना स्कूल बैग कंधों पर उठाना अच्छा लगता है।
बेदर्द समाज ने नहीं दिया, इनको इनका अधिकार,
इनको भी पढ़-लिख कर कुछ बनना अच्छा लगता है।
आओ हम सब मिलकर खाएं यह कसम,
इनको इनका अधिकार दिलायेंगे हम।
कोमल हाथों से नही होने देगें श्रम,
कोमल हाथों में थमाएंगे कलम,थमाएंगे कलम।