कविता : कन्यादान
प्रश्न. ‘कन्यादान’ कविता की माँ परम्परागत माँ से कैसे भिन्न है?
उत्तर : परंपरागत माँ अपनी बेटी को सबकुछ सहकर कर्त्तव्य पालन करने की सीख देती है। लेकिन कविता में वर्णित माँ की सोच भिन्न है। वह यह तो चाहती है कि लड़की विनम्र, मृदुभाषी, सहनशील हो लेकिन वह उसे निर्बल नहीं देखना चाहती। वह उसे भविष्य के संभावित खतरों के प्रति भी जागरुक करती है। माँ चाहती है कि उसकी बेटी शोषण का शिकार न हो।