प्रश्न. ‘लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप’ प्रसंग ईश्वरीय राम का पूरी तरह से मानवीकरण है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर : लक्ष्मण मूर्च्छा और राम विलाप के सन्दर्भ में तुलसीदास जी कहते हैं कि मूर्च्छित लक्ष्मण को देखकर श्री राम जी भी चिन्तित हो जाते हैं। श्री राम जी भी ऐसे वचन कहने लगे जो मनुष्य के कहने योग्य हैं। साधारण मनुष्य की भाँति श्री राम भी अपने आघात भाई को देखकर कहते हैं कि आधी रात तो हो चुकी लेकिन हनुमान नहीं आए। श्रीराम लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लेते हैं। श्री राम लक्ष्मण के त्याग, प्यार व भ्रातभाव को प्रकट करते हैं।