प्रश्न. इम्तिहान के दिन विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर : इम्तिहान के नाम से बड़े-बड़े भी काँपने लगते हैं। इम्तिहान छोटों का हो या बड़ों का, पर यह डराता सभी को है। पिछले वर्ष जब 10वीं की बोर्ड परीक्षा हमें देनी थी तब सारा वर्ष स्कूल में हमें बोर्ड परीक्षा के नाम से डराया गया और घर पर भी धमकाया जाता था। मन-ही-मन हम भी इसके नाम से डरने लगे थे कि पता नहीं इस बार इम्तिहान के दिन में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई की, बार-बार टेस्ट दिए पर फिर भी यह पता नहीं कि इम्तिहान में क्या होगा। पूरे वर्ष अच्छे से पढ़ाई, बार-बार टेस्ट दिए पर इम्तिहान के नाम से फिर भी डर लगता था। जिस दिन इम्तिहान था, उससे पहली रात मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई। पहला पेपर हिन्दी का था और इस विषय पर मेरी अच्छी तैयारी थी पर इम्तिहान का भूत इस तरह सिर पर सवार था कि नीचे उतरने का नाम ही नहीं लेता था। सुबह स्कूल जाने को तैयार हुआ। स्कूल बस में सवार हुआ तो देखा जो साथी हर रोज़ हो-हल्ला करते थे, आज उनके हाथों में पुस्तकें हैं और नज़रें पुस्तक पर, जिससे मैं अधिक डरने लगा। मैंने भी मन-ही-मन अपने पाठों को दोहराना चाहा पर ऐसा लग रहा था कि मुझे तो कुछ याद ही नहीं सब कुछ भूलता-सा प्रतीत हो रहा था। मैंने भी जल्दी से अपनी पुस्तक खोली तो मुझे राहत महसूस हुई। मैंने मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया कि मुझे यह सब याद था। खैर, स्कूल पहुँचे, अपनी जगह पर बैठे। प्रश्न-पत्र मिला, आसान लगा और ठीक समय पर पूरा कर भी लिया। जब बाहर निकले तो सभी प्रसन्न थे पर साथ ही चिन्ता थी अगले पेपर की। पन्द्रह दिन में सभी पेपर हो गए पर ये सारे दिन बहुत व्यस्तता के साथ बीते थे। इन दिनों न तो भूख लगती थी और न ही खेलने की इच्छा होती थी। सच में, इम्तिहान के दिन बहुत तनाव भरे होते हैं।