प्रश्न. ‘रेडियो नाटक का लेखन सिनेमा और रंगमंच के लेखन से थोड़ा भिन्न भी है और थोड़ा मुश्किल भी उत्तर दीजिए।
उत्तर : सिनेमा और रंगमंच की तरह रेडियो नाटक में विजुअल्स अर्थात् दृश्य नहीं होते हैं। यही सबसे बड़ा अन्तर है। रेडियो पूरी तरह से श्रव्य माध्यम है इसीलिए रेडियो नाटक का लेखन सिनेमा व रंगमंच के लेखन से थोड़ा भिन्न भी है और थोड़ा मुश्किल भी। रेडियो नाटक में मंच सज्जा तथा वस्त्र सज्जा नहीं होती है। न ही अभिनेता के चेहरे की भाव-भंगिमाएँ। रेडियो नाटक में एक कहानी होती है, कहानी का वही ढाँचा, शुरूआत-मध्य-अन्त तक। बस ये सब आवाज़ के माध्यम से होता है।