पद्यांश / काव्यांश
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई,
जाके सिर मोर मुकट, मेरो पति सोई।
तात, मात, भ्रात, बंधु, आपनो न कोई,
छोड़ दई कुल की कानि कहा करिहै कोई,
संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई।
अँसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेलि फैल गई, आणंद फूल होई।
भगति देखि राजि भई, जगत देखि रोई।
दासी मीराँ, लाल गिरधर, तारो अब मोही।
(क) मीरा यह क्यों कहती है कि मेरा गिरधर ही मेरे लिए सब कुछ है?
(i) मीरा कृष्ण को पति के रूप में मानती है
(ii) ग्वाले के रूप में मानती है
(iii) मित्र के रूप में मानती हैं
(iv) राजा के रूप में मानती है।
(ख) ‘अँसुवन’ शब्द का क्या अर्थ है?
(i) नाक
(ii) समुद्र
(iii) आँसू
(iv) आँख
(ग) ‘सींचि-सींचि’ शब्द में कौन सा अलंकार है?
(घ) ‘गिरिधर’ में कौन-सा समास है?
(ङ) मीरा पर भक्तों को देखकर क्या प्रभाव पड़ा?