नित्य प्रातःकाल उठकर खुली हवा में घूमने और व्यायाम करने की सलाह देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली-110064
दिनांक : 14 अप्रैल 2008
प्रिय अनुज
शुभाशीर्वाद !
तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर अत्यंत दुख हुआ कि इन दिनों तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा नहीं चल रहा है। अनुज ! तुम्हें प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए। इससे शरीर के अनेक रोग स्वयं ही दूर हो जाते हैं। प्रातःकालीन व्यायाम हमें ताजगी एवं चुस्ती से भर देता है। इससे हमारी मांसपेशियाँ अधिक क्रियाशील हो जाती हैं। तुम्हें यह कहावत तो ज्ञात होगी कि ‘A sound mind in a sound body’ अर्थात् ‘स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।’ इस प्रकार व्यायाम बहुत ही उपयोगी है। मैं चाहता हूँ कि तुम भी प्रतिदिन एक घंटा व्यायाम पर लगाओ। इससे तुम्हें एक ही मास में काफी लाभ दिखाई देगा।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में-
तुम्हारा अग्रज
क०ख०ग०