CBSEEducationअनुच्छेद लेखन (Anuchhed Lekhan)

अनुच्छेद लेखन : योग और छात्र जीवन


योग और छात्र जीवन



योग भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। महर्षि पतंजलि ने यम, नियम, प्रत्याहार और आसन को योग का शारीरिक और प्राणायाम, ध्यान, धारणा और समाधि को योग का मानसिक अंग माना है। प्रातः काल योग करने से हमें नवीन ऊर्जा और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। हमारा मस्तिष्क शान्त रहता है और हमारा पूरा दिन खुशी और आनन्द में बीतता है। हमारी पाचन क्रिया उचित प्रकार से क्रियान्वित होती है तथा हमारा रक्त संचार ठीक रहता है। छात्र जीवन में योग की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। योग के द्वारा उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति ध्यान एकाग्र करने की क्षमता प्राप्त होती है। छात्रों में शारीरिक शक्ति के साथ ही मानसिक शक्ति और सहनशक्ति होना परमावश्यक है। योग और खेल छात्रों को ऊर्जावान रखते हैं। सुबह – सुबह योग का नियमित अभ्यास हमें कई शारीरिक और मानिसक रोगों से दूर रखता है। योग मुद्रा या आसन छात्रों के शरीर और दिमाग को तेज करते हैं। आजकल छात्रों के ऊपर कई गतिविधियों में स्वयं को सिद्ध करने का मानसिक दबाव और तनाव होता है। योग उसे नियन्त्रित करने में भी सहायक होता है। योग नकारात्मक विचारों को नियन्त्रित करता है। यह बच्चों को प्रकृति से भी जोड़ता है। छात्रों को अपनी क्षमताओं से अधिक आसन या प्राणायाम आदि नहीं करना चाहिए। निष्कर्ष रूप में छात्र योग द्वारा श्रेष्ठ जीवन का आचरण करके एक आदर्श मानव बन सकते हैं। हमारी शिक्षा का भी यही उद्देश्य है।