संकट का सामना करने से ही सफलता मिलती है।

स्वामी विवेकानंद बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। उनकी संगीत, खेलकूद सहित तमाम गतिविधियों में रुचि थी। अध्यात्म में

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प्रकृति सभी को समान अवसर देती है

सभी को समान अवसर देती है प्रकृति, यह हम पर निर्भर है कि हम उससे कैसे अपना भाग्य बनाते हैं।

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हमारा मार्गदर्शक, गुरू या मालिक कौन है? क्या हमें पूरी जिंदगी एक मालिक की जरूरत होती है?

एक बार एक जंगल में घास खाते हुए एक गाय ने एक बाघ को दौड़ते हुए उसकी ओर आते देखा

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हिन्दू – एक संस्कृति एवं सभ्यता

एक बार बादशाह अकबर और बीरबल टहल रहे थे। रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक

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हर कदम पर मेहनत करना जरूरी है।

एक बार एक युवक ने अपने गुरू जी से कहा – महाराज,मैं अपने जीवन का सर्वोच्च शिखर पाना चाहता हूँ,

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जीवन जीने के लिए मापदण्ड ऊंचे रखिए

एक बार एक व्यक्ति कुम्हार के पास जन्माष्टमी के लिए मटकियां खरीदने गया। कुम्हार के पास मटके कम पड़े थे।

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