कविता : प्रणति
कलम, आज उनकी जय बोल!जला अस्थियां बारी – बारी,छिटकाई जिसने चिंगारी।जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर,लिए बिना गर्दन का मोल,कलम,
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