अपठित गद्यांश : दुःख का अधिकार (बुढ़िया खरबूजे बेचने)
बुढ़िया खरबूजे बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर
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