CVV नम्बर क्यों जरूरी है ?
आजकल बैंक जाने के बजाय ऑनलाइन पेमेंट करना अधिक आसान होता है।
क्या आपने कभी गौर किया है कि आप जब कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो आपसे कार्ड का CVV नम्बर मांगा जाता है, जो आमतौर पर 3 डिजिट का होता है।
शुरुआती दौर में CVV कोड 11 अंकों के होते थे, जिन्हें बाद में 3 से 4 अंकों तक रखा गया। कुछ बैंक इसे CVC कोड भी कहते हैं। CVV का अर्थ कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू है, वहीं CVC का अर्थ कार्ड वेरिफिकेशन कोड है।
यह कोड क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड के पीछे key और मैग्नेटिक स्ट्रिप के पास होता है। ऑनलाइन ट्रांसेक्शन के समय आपके कार्ड के डिटेल ऑटो सेव हो जाते हैं और सिर्फ CVV नम्बर एंटर करना होता है। इस नम्बर की खासियत यह है कि ये किसी भी सिस्टम पर आसानी से सेव नहीं होता है।
CVV कोड सिक्युरिटी के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब भी कार्ड को सार्वजनिक स्थल पर इस्तेमाल करते हैं तो उसका ऊपरी भाग सामने होता है, जिसमें कार्ड का नम्बर और एक्सपायरी डेट अंकित होती है।
CVV कोड कार्ड के पिछले हिस्से में लिखा होता है, जिसे ऑनलाइन पेमेंट करते वक़्त देख पाना आसान नहीं होता।
अक्सर सलाह दी जाती है कि CVV नम्बर को याद कर लेना चाहिए और उसके बाद इसे कार्ड से मिटा देना चाहिए।