अपठित गद्यांश : दुःख का अधिकार (बुढ़िया खरबूजे बेचने)
बुढ़िया खरबूजे बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर
Read Moreबुढ़िया खरबूजे बेचने का साहस करके आई थी, परंतु सिर पर चादर लपेटे, सिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफककर
Read Moreजिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है, परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए? उसके लिए तो बजाज की
Read Moreदुःख का अधिकार : यशपाल निम्नलिखित गद्यांश और उन पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए : परचून की दुकान
Read Moreदुःख का अधिकार : यशपाल निम्नलिखित गद्यांश और उन पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़िए : मनुष्यों की पोशाकें
Read Moreकविता का उद्देश्य हमारे हृदय पर प्रभाव डालना होता है, जिसमें उसके भीतर प्रेम, आनंद, हास्य, करुणा, आश्चर्य इत्यादि अनेक
Read Moreआचार्य बसु ने सोचा कि अगर जड़ पदार्थ से ही जीवन का प्रादुर्भाव हुआ है और जीव-तत्व या चेतन का
Read Moreआचार्य बसु ने सोचा कि अगर जड़ पदार्थ से ही जीवन का प्रादुर्भाव हुआ है और जीव-तत्व या चेतन का
Read Moreआचार्य बसु ने सोचा कि अगर जड़ पदार्थ से ही जीवन का प्रादुर्भाव हुआ है और जीव-तत्व या चेतन का
Read Moreभोजन संबंधी भूलों में सबसे बड़ी भूल बिना भूख खाना है। बिना भूख खाना अपने शरीर के साथ अपराध करना
Read Moreगंगा भारत की एक अत्यन्त पवित्र नदी है जिसका जल काफी दिनों तक रखने के बावजूद अशुद्ध नहीं होता जबकि
Read More