कविता : मां
माँ-माँ जपती जाऊँ सम्पूर्ण जगत की पालनहार, जिसके आँचल में भरपूर प्यार, माँ के बलिदान को देखो और उसे प्यार
Read Moreमाँ-माँ जपती जाऊँ सम्पूर्ण जगत की पालनहार, जिसके आँचल में भरपूर प्यार, माँ के बलिदान को देखो और उसे प्यार
Read Moreमेरी प्रेरणामयी माँ मैंने माँ को नित्य हँसते देखा था, जीवन की ज्योति पर जलते देखा था। जीवन की उस
Read Moreमाँ तुझे सलाम है हे माँ ! तू वरदान है, तू धरती की मानस पुत्री, तू ईश्वर की पहचान है,
Read Moreमाँ की याद माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई पंचतारा होटलों की शान कुछ न भाई
Read Moreलघु कविता : अंधियारी रातों में अंधियारी रातों में मुझको थपकी देकर कभी सुलाती कभी प्यार से मुझे चूमती कभी
Read Moreलघु कविता : माँ पृथ्वी भी माँ आकाश भी पिता के जाने के बाद इससे पहले कि हम संभालते माँ
Read Moreमाँ : पृथ्वी सी सरल सहज कल सपने में आई अम्मा, देर तलक, बतियाई अम्मा। लाड किया, सिर हाथ फेर
Read Moreमाँ से बढ़कर कुछ भी नहीं माँ जिसकी कोई परिभाषा नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं। जो मेरे लिए भगवान से
Read Moreसमुद्र ने कहा : माँ एक ऐसी सीप है, जो औलाद के लाखों राज़ अपने सीने में छिपा लेती है।
Read Moreमाँ और भगवान मैं अपने छोटे मुख से कैसे करूँ तेरा गुणगान, माँ तेरी समता में फीका सा लगता भगवान।
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