कविता : मां
लघु कविता : माँ – ममता की फुलवारी माँ तूं मन की किलकारी, माँ ममता पे तुम हो वारी। सब
Read Moreलघु कविता : माँ – ममता की फुलवारी माँ तूं मन की किलकारी, माँ ममता पे तुम हो वारी। सब
Read Moreभगवान का दूसरा रूप है माँ भगवान का दूसरा रूप है माँ, उनके लिए दे देंगे जां। हमको मिलता जीवन
Read Moreमाँ की ममता का नहीं कोई शुमार माँ की ममता का नहीं कोई शुमार, माँ है सन्ना-ए-अज़ल का शाहकार। माँ
Read Moreलघु कविता : माँ उफ नहीं करती माँ का स्वरूप, ममता से भरपूर। सुखों का सागर, सभी का आदर। संस्कारों
Read Moreजब स्वयं मातृत्व सुख पाओगे माँ ने ममता से पलकों पर बिठाया तुमको अहसास दिलाया तुम को हर पल तुम्हें
Read Moreमाँ के नहीं होने पर धूप में बाहर मत घूमो लू लग जाएगी। बारिश में भीग गए कपड़े बदलो, तबीयत
Read Moreमाँ-माँ जपती जाऊँ सम्पूर्ण जगत की पालनहार, जिसके आँचल में भरपूर प्यार, माँ के बलिदान को देखो और उसे प्यार
Read Moreमेरी प्रेरणामयी माँ मैंने माँ को नित्य हँसते देखा था, जीवन की ज्योति पर जलते देखा था। जीवन की उस
Read Moreमाँ तुझे सलाम है हे माँ ! तू वरदान है, तू धरती की मानस पुत्री, तू ईश्वर की पहचान है,
Read Moreमाँ की याद माँ के हाथों की बनी जब दाल रोटी याद आई पंचतारा होटलों की शान कुछ न भाई
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