कविता : मां
माँ तुम बिल्कुल माँ जैसी हो माँ “तेरे हाथों की करामात की तो बात ही क्या “माँ” मुझको तो तेरे
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Read Moreतू कैसा बेटा है? जब तू छोटा था, तब माँ की शय्या गीली करता था। अब तू बड़ा हो गया,
Read Moreमेरी माँ जिसकी कोई जाति नहीं, जिसकी कोई सीमा नहीं, माँ मेरे लिए भगवान समान है जो मेरे दुख से
Read Moreमाँ आदमी को इन्सान बनाती माँ, तेरी गोद मुझे, मेरे अनमोल होने का अहसास दिलाती है। माँ तेरी हिम्मत, मुझको
Read Moreमाँ की ममता मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू, इक हकीकत भी तू और किताबों में तू। तू
Read Moreबचपन से बुढ़ापे तक हर घड़ी औलाद की खातिर दुआ करती है माँ और माँ होने का ऐसे हक अदा
Read Moreदुख न दें भले सुख ना दें संबंध नहीं है माँ, केवल संपर्क नहीं है। आदर्श है जीवन का केवल
Read Moreमाँ तुम जैसा कोई ना देखा माँ तुम हरदम मेरे पास, जब कभी भी मैं हुआ उदास न जाने कैसे?
Read Moreज़माना बदलता है तो बदल जाए माता-पिता और गुरू ही हमारे भगवान हैं, इन जैसा न कोई महान है। यहीं
Read Moreमाँ की पहचान अनंत शक्ति की स्त्रोत है माँ, विश्व की जननी बोध है माँ। सुखकर्ता, दुःख हरता माँ, जग
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