पाठ के शब्दार्थ : तुम कब जाओगे अतिथि
तुम कब जाओगे अतिथि : शरद जोशी आगमन-आना। चतुर्थ-चौथा। निस्संकोच – बिना शर्म के। विगत-बीता हुआ। सतत – लगातार। आतिथ्य
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