ਨਾਵਣ ਚਲੇ ਤੀਰਥੀਂ ਮਨ ਖੋਟੇ ਤਨ ਚੋਰ ਤੀਰਥ ਦਾ ਅਰਥ : ਭਾਈ ਕਾਹਨ ਸਿੰਘ ਨਾਭਾ ਰਚਿਤ ‘ਮਹਾਨ ਕੋਸ਼’ ਅਨੁਸਾਰ ਤੀਰਥ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਉਹ ਪਵਿੱਤਰ […]
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ਲੇਖ : ਵਿਹਲਾ ਮਨ ਸ਼ੈਤਾਨ ਦਾ ਘਰ
ਵਿਹਲਾ ਮਨ ਸ਼ੈਤਾਨ ਦਾ ਘਰ ਮਨ ਦਾ ਅਰਥ : ਮਨ ਕੀ ਹੈ ? ਮਨ ਵਿਚਾਰਾਂ, ਫੁਰਨਿਆਂ, ਸੰਕਲਪਾਂ ਅਤੇ ਤ੍ਰਿਸ਼ਨਾਵਾਂ ਦਾ ਢੇਰ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ […]
Read moreਲੇਖ : ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੇਲੇ – ਤਿਉਹਾਰ
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੇਲੇ – ਤਿਉਹਾਰ ਭੂਮਿਕਾ : ਪੰਜਾਬ ਮੇਲਿਆਂ ਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸਬੰਧ ਸਾਡੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰ, ਇਤਿਹਾਸ ਤੇ ਧਾਰਮਕ ਵਿਰਸੇ ਨਾਲ ਹੈ। […]
Read moreकाव्यांश – क्षमा शोभती उस भुजंग को
क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो। क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल, सबका लिया सहारा। पर नर-व्याघ्र, सुयोधन तुमसे कहो, कहाँ कब हारा। […]
Read moreकाव्यांश
जन्म लेते हैं जगह में एक ही, एक ही पौधा उन्हें है पालता। रात में उन पर चमकता चाँद भी, एक-ही-सी चाँदनी है डालता ॥ […]
Read moreकाव्यांश – क्यों न उठा लेता निज संचित
क्यों न उठा लेता निज संचित, कोष भाग्य के बल से ? ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में मनुज नहीं लाया है, अपना सुख उसने […]
Read moreकाव्यांश – चला आता है संगतकार का स्वर
चला आता है संगतकार का स्वर जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन जब वह […]
Read moreकाव्यांश – कौन रोके मन की उड़ान निर्बंध।
कौन रोके मन की उड़ान निर्बंध। विवश नहीं वे विकल नहीं हैंघने अंधकार मेंचमकते ज्योति कण हैं।नहीं ज्योति आँखों कीफिर भी क्या कमी दृष्टि की […]
Read moreकाव्यांश – औरों की सुनता मैं मौन रहूँ
औरों की सुनता मैं मौन रहूँ मधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी। इस गंभीर […]
Read moreकाव्यांश – जिस देश में जिए हैं, उसके लिए मरेंगे
जिस देश में जिए हैं, उसके लिए मरेंगे! क्या प्रिय स्वदेश को हम स्वाधीन कर सकेंगे?फिर मान-शैल शिर पर आसीन कर सकेंगे?हाँ, क्यों न कर […]
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