तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी अपने खर्राटों से एक और रात गुंजायमान करने के बाद कल जो किरण तुम्हारे बिस्तर पर आएगी, वह […]
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अपठित गद्यांश : तुम्हें यहां अच्छा…………. बोला जा सकता है।
तुम कब जाओगे, अतिथि : शरद जोशी तुम्हें यहाँ अच्छा लग रहा है न। मैं जानता हूँ। दूसरों के यहाँ अच्छा लगता है। अगर बस […]
Read moreअपठित गद्यांश : तीसरे दिन की………… राक्षस भी हो सकता है।
अतिथि तुम कब, जाओगे : शरद जोशी तीसरे दिन की सुबह तुमने मुझसे कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।” यह आघात अप्रत्याशित था […]
Read moreअपठित गद्यांश : दूसरे दिन………… ऐसा नहीं किया।
अतिथि तुम कब, जाओगे : शरद जोशी दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाजी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे। हम […]
Read moreअपठित गद्यांश : उस दिन जब…………. तुम चले जाओगे
तुम कब जाओगे, अतिथि: शरद जोशी निम्नलिखित गद्यांश और इस पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर उत्तर दीजिए- उस दिन जब तुम आए […]
Read moreਅਸੀ ਖਤੇ………… ਬਖਸਿ ਮਿਲਾਵਣਹਾਰੁ।।
ਕਿਰਪਾ ਕਰਿ ਕੈ ਬਖਸਿ ਲੈਹੁ : ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਵਿ-ਟੋਟੇ ਦੀ ਪ੍ਰਸੰਗ ਸਹਿਤ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ- ਅਸੀ ਖਤੇ ਬਹੁਤੁ ਕਮਾਵਦੇ ਅੰਤੁ ਨ ਪਾਰਾਵਾਰੁ ॥ […]
Read moreआज का सुविचार
जिस भी चीज का पीछा करें, अंत में हम खुद को ही पाते हैं। ओउज अताय
Read moreआज का सुविचार
जीवन में उतार-चढ़ाव हमें आगे बढ़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ईसीजी में भी सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं। […]
Read moreਅੱਜ ਦਾ ਵਿਚਾਰ
ਪਾਰਦਰਸ਼ਤਾ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਜਮਹੂਰੀਅਤ ਅਧੂਰੀ ਹੈ। ਕ੍ਰਿਸ ਰਿਚਰਡਸਨ
Read moreअपठित गद्यांश : तुम जहां बैठे ……….. पृथ्वी नहीं पुकारती?
तुम कब जाओगे अतिथि : अपठित गद्यांश निम्नलिखित गद्यांश और इस पर आधारित प्रश्नों को ध्यान से पढ़ कर उत्तर दीजिए- तुम जहाँ बैठे निस्संकोच […]
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