कविता : आज जरुरत है भारत को
कविता : आज जरुरत है भारत को
आज जरुरत है भारत को ,
कर्मठ वीर जवानों की।
आज जरुरत है धरती को ,
कर्मठ वीर किसानों की।
हरियाली को गीत दान दो,
भू पर सावन स्वर लहरा दो।
निज वसंत का स्वर लहरा दो,
ऐसी ही भू पर सिंचन हो।
त्यागो अब निद्रा जागो तुम,
खेतों और खलिहानों में।
नई चेतना फिर से ला दो तुम,
मुर्झाए उद्यानों में ।
ऐसे ही सत्कार्य करो तुम,
ऐ भारत की संतान।
आज मुल्क की शान पुकारे,
करो कर्म का तुम सम्मान।