आपके पैर में यदि सात नंबर का जूता-चप्पल फिट बैठता हो और आप नौ नंबर की चप्पल पूरे जीवन पहन कर कर घूमते रहें, तब भी वह चप्पल फिट नहीं होगी, ऐसा करने वाला अंततः दुःखी व्यथित बेचैन ही होगा। सीधी सहज बात है- ईश्वर ने हमें जो बेजोड़ पहचान दी है उसको पहले जानें पहचानें और उसके अनुसार आगे बढ़ते जाएं। यही राह समझदारी भरी है।
डॉ. ज्ञानवत्सल स्वामी