काव्यांश


निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :-


कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो,

साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई

फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया,

कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं

सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,

मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो….

जिंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर

जान देने की रुत रोज़ आती नहीं,

हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे

वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं,

आज धरती बनी है दुल्हन साथियो

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो..


प्रश्न. ‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ – पंक्ति में ‘सर’ किसका प्रतीक है?

प्रश्न. धरती के दुल्हन बनने से क्या तात्पर्य है?

प्रश्न. पद्यांश में ‘बांकपन’ शब्द किसका प्रतीक है?

प्रश्न. सर पर कफ़न बांधने का क्या अर्थ है?