शब्द मौन से अधिक कीमती होने चाहिए।

  • क्रोध करने वाला अविवेकी हो जाता है। उसे अहसास नहीं होता कि उसके शब्दों, उसके बर्ताव का दूसरे पर क्या असर होता है।
  • हर नज़र की सीमा होती है, सोच और नज़रिए की भी, लेकिन सच उतना ही नहीं होता, जितना समझ का कद!
  • किसी काम को करने की ‘नीति’ जितनी अच्छी होगी, उतनी ही ‘उन्नति‘ होगी।
  • खुशहाल जीवन जीने के लिए ज्ञान और विवेक दोनों जरूरी हैं।
  • आदतों का अच्छा पहलू यह है कि आप इन्हें बिना सोचे कर पाते हैं। इनका कमज़ोर पहलू यह है कि आप एक तय विधि में इन्हें करते हैं और छोटी गलतियों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
  • जब तक ऊपर वाला हमें दूसरे मिशन के लिए नहीं बुला लेता, हम तब तक काम कर सकते हैं। पर ये तभी हो सकता है, जब हमें पता हो कि हमारे कामकाजी जीवन का मकसद क्या है।
  • शब्द मौन से ज्यादा कीमती हों, तभी बोलना चाहिए, नहीं तो चुप रहना ही बेहतर है।
  • शरीर के बजाए अपनी आत्मा को मजबूत बनाइए।
  • अपना काम अच्छे तरीके से करने के बाद संतुष्ट होकर आराम कीजिए। दूसरे आपके बारे में क्या बात करते है, ये उन्हीं पर छोड़ दीजिए।
  • किसी को इतनी आजादी न दें कि वह आपसे ऐसा कोई काम करवा ले या आपको ऐसा कुछ बोलने को मजबूर कर दे जो आपके लिए अच्छा नहीं है।
  • ज्यादा शब्दों में थोड़ा कहने के बजाय कम शब्दों में ज्यादा बताने की कोशिश करें।
  • हां’ और ‘ना’ दुनिया के सबसे पुराने और छोटे शब्द हैं, लेकिन इन्हें इस्तेमाल करने से पहले सबसे ज्यादा सोचना पड़ता है।
  • क्रोध में न हमें कुछ बोलना चाहिए, न कोई काम करना चाहिए।
  • मनुष्य का जब तक खुद पर नियंत्रण न हो, तब तक वह स्वतंत्र नहीं हो सकता।
  • दुश्मन की दोस्ती से बेहतर है दोस्त की दुश्मनी।
  • मूर्ख व्यक्ति की पहचान उसकी वाचालता से होती है, बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान उसके मौन से।
  • मुरादों की झोली पूरी तो कभी किसी की नहीं भरती, लेकिन यदि नीयत साफ है तो खाली भी नहीं रहती।
  • हालात का विज्ञान कहता है कि सत्ता के आसपास का वातावरण अविश्वसनीय होता ही है।
  • किसी और के लिए दीपक जलाकर आप अपने रास्ते का अंधकार भी दूर करते हैं।