काव्यांश
जन्म लेते हैं जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक-ही-सी चाँदनी है डालता ॥
मेघ उन पर है बरसता एक-सा,
एक-सी उन पर हवाएँ हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उन के एक-से होते नहीं ॥
छेद कर काँटा किसी की उँगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार-डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंरे का है बेध देता श्याम तन ॥
फूल लेकर तितलियों को गोद में
भौंरे को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगंधों औ निराले रंग से,
है सदा देता कली जी की खिला ॥
है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर-शीश पर ।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर ॥
काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-
प्रश्न 1. कवि ने प्रकृति की किस विशेषता को यहाँ चित्रित किया है?
प्रश्न 2. काँटे की किस क्रूरता को कवि ने चित्रित किया है?
प्रश्न 3. फूल सभी को क्यों प्यारा लगता है?