CBSEComprehension PassageEducationNCERT class 10thPoemsPoetryPunjab School Education Board(PSEB)ਅਣਡਿੱਠਾ ਪੈਰਾ (Comprehension Passage)

काव्यांश – कौन रोके मन की उड़ान निर्बंध।

कौन रोके मन की उड़ान निर्बंध।

विवश नहीं वे विकल नहीं हैं
घने अंधकार में
चमकते ज्योति कण हैं।
नहीं ज्योति आँखों की
फिर भी क्या कमी दृष्टि की ?
देख सकते हैं खूब
ज्ञान की रोशनी से;

जिसे एक बार हाथ से थाम लें।
मनोबल जिनका बाहुबल से
है कहीं ज्यादा
अक्षमताएँ नहीं रोक सकतीं
उनका अटल इरादा ।
पैरों से हैं पंगु मगर वे

जग की रीत, न्याय, अन्याय, सच-झूठ।
विवेक व्यवहार से प्रकाशित उनका, जीवन
ज्योतित है अंतर्मन।
विवश नहीं हाथों के अभाव में
कर सकते हैं काम वे सब
करने की जो मन में ठान लें।
छोड़ नहीं देते अधूरा काम वे

पार कर सकते हैं पर्वत श्रेणियाँ
फैला कर अपने पंख सपनों के।
नहीं प्रतिभा पर कोई प्रतिबंध
कौन रोके मन की उड़ान निर्बंध।
पाते नहीं बाधा कार्य साधन में
नहीं अशक्त गतिमान हैं वे।


काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :-


प्रश्न 1. दृष्टि की कमी वाले लोगों की विशिष्टता की ओर कवि ने क्या संकेत किया है?

प्रश्न 2. लूले लोगों की किस विशेषता की ओर कवि हमारा ध्यान खींचते हैं?

प्रश्न 3. लँगड़े लोगों की किस प्रतिभा ने उन्हें विशिष्ट बना दिया है?