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ज़िंदगी गुलज़ार है।

पसन्द-नापसन्द , इंसान अलग तो वो भी अलग।

मेरा मनपसंद —ज़िंदगी … में से ज़िंदगी… ही ढूंढना, हमेशा।

जो मिली भी और नहीं भी।

ज़िंदगी बहुत से अजीब अहसासों से भरा मिश्रण है मेरे लिए। उन अहसासों में प्यार, गुस्सा, बेबसी, मजबूरी और दुलार भी हैं।

बाज़ दफ़ा ज़िंदगी मुझे समझ में नहीं आती थी। मैं भगवान से बहुत लड़ती थी, इल्ज़ाम भी लगाती थीं उन पर।

अब समझ आ गया है, अगर भगवान हमें नेमतों से नवाज़ते हैं तो आज़माइश भी वही लेते हैं।

ज़िंदगी अभी खत्म नहीं हुई, बस अब भगवान से गिले खत्म हो गए हैं।

अब मैंने उन चीजों पर राज़ी होना सीख लिया है, जो वो मुझे देता है और जो नाहासिल है उन्हें छोड़ना भी धीरे धीरे सीख लिया है।

ज़िंदगी में बहुत सारे झंझट, मुसीबतें, खुशियाँ और मेहरबानियां हैं।

जो समझ में आया, ये सब हैंं, फिर भी …

ज़िंदगी गुलज़ार है।