भगवान महादेव का नाम नीलकंठ इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान निकलने वाले विष को अपने भीतर नहीं उतरने दिया था।
समुद्र मंथन में से विष बाहर आया, तब हाहाकार मच गया कि इस विष को किस प्रकार संभालें !
उस समय भगवान भोलेनाथ ने यह जिम्मा उठाया एवं हलाहल को ग्रहण किया ताकि समूची पृथ्वी, सब लोकों, जीव जंतुओं एवं प्राणियों की रक्षा हो सके।
हलाहल का प्रभाव इतना अधिक था कि भोलेनाथ को लगा कि यदि यह विष उनके भीतर उतर गया तो उनके हृदय में निवास करते हुए प्रभु श्रीराम को कष्ट होगा।
इसलिए उन्होंने उस विष को अपने भीतर प्रवेश नहीं करने दिया अपितु अपने कण्ठ में ही रोक लिया। इस प्रकार भगवान भोलेनाथ का एक और नाम नीलकण्ठ प्रसिद्ध हुआ।
इस शिवरात्रि के पावन अवसर पर यही प्रार्थना है कि भगवान भोलेनाथ सब भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें।
भगवान महादेव को याद करने के लिए सबसे बढ़िया मंत्र है :-
||ॐ नमः शिवाय|||| ॐ नमः शिवाय|| || हर हर भोले नमः शिवाय ||
||विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| रामेश्वराय शिव रामेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| ओंकारेश्वराय शिव ओंकारेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| महाकलेश्वराय शिव महाकलेश्वराय हर हर भोले नमः शिवाय ||
|| मृत्युंजाय शिव मृत्युंजाय हर हर भोले नमः शिवाय||
|| ताण्डव प्रियाय शिव ताण्डव प्रियाय हर हर भोले नमः शिवाय ||
हर हर महादेव 🙏 ॐ नमः शिवाय
जय शिव शंभू 🙏