| कोरोना को हराना है |
महाभारत युद्ध में जब द्रोणाचार्य मर चुके थे, तब अश्वत्थामा हाहाकार कर उठा। दुर्योधन ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए उसे नारायणास्त्र चलाने के लिए कहा, जोकि सिर्फ अश्वथामा के पास था।
उसने क्रोध में वह अस्त्र चला दिया। पांडवों की सेना त्राहि-त्राहि कर उठी। सब तरफ आग ही आग धधक रही थी। सब झुलस रहे थे।
उस वक्त अर्जुन ने घबराकर भगवान श्रीकृष्ण की ओर देखा, लेकिन कृष्ण भी भौचक्के होकर उस अस्त्र को देख रहे थे, जैसे उनके पास भी उसका कोई तोड़ न हो। यकायक श्रीकृष्ण रथ से उतरे और नारायणास्त्र का रुख करते हुए भूमि पर माथा टेक दिया।
अर्जुन आश्चर्यचकित रह गए। परन्तु श्रीकृष्ण से प्रश्न करने का साहस न कर सके। अर्जुन भी रथ से उतर आए।
श्रीकृष्ण ने उच्च स्वर में घोषणा की – सभी अपने-अपने शस्त्र त्याग कर भूमि पर नतमस्तक हो कर बैठ जाएं।।
सभी असमंजस में थे, लेकिन कृष्ण की बात को भला कौन नकार सकता था। अब कहीं से कोई प्रतिकार नहीं हो रहा था। किसी प्रकार का कोई विरोध न देखकर नारायणास्त्र शांत हो गया। उसकी शक्ति क्षीण हो गई और वह समाप्त हो गया।
जिस प्रकार भगवान के कहने पर नारायणास्त्र के सामने पाण्डव झुक गए और उसका विरोध नहीं किया, उसी प्रकार आज के समय में हम सभी को अपने-अपने घर के अंदर बन्द रहना है और इस कोरोना नामक वायरस से लड़ने की बजाय इससे दूरी बनाए रखना कहीं बेहतर है।
हम सबको मिलकर कोरोना को हराना है ।