असफलता 👎 पराजय की निशानी नहीं होती।

एक बार की बात है, वन में एक ऋषि आश्रम बनाकर रहते थे। उनके पास एक विशाल हाथी था।

आकार में बड़ा और मजबूत होने के बावजूद वह एक पतली और कमजोर रस्सी से बंधा रहता था।

एक बार कोई राहगीर उनके आश्रम में आया और यह देखकर चकित हो गया कि इतना बड़ा हाथी एक कमजोर रस्सी से बंधा है और इसके बावजूद वह इससे आजाद नहीं हो पा रहा है। जबकि सच्चाई तो यह है कि एक हाथी तो जंजीरों को भी तोड़ सकता है।

उसके मन में जिज्ञासा हुई कि हाथी उस कमजोर रस्सी को क्यों तोड़ नहीं पाता है ? वह ऋषि के पास गया, जहां वह शिष्यों को ज्ञान दे रहे थे।

उसने ऋषि को प्रणाम करके अपनी उत्सुकता के बारे में उनसे पूछा।

राहगीर की बात सुनकर ऋषि ने बताया कि यह हाथी जब छोटा था, तब से उनके पास है। उस समय वे उसे रस्सी से बांधते थे। उस समय जोर लगाने पर भी उसके लिए उस रस्सी को तोड़ पाना बहुत ही मुश्किल था। तब हाथी ने उस रस्सी को तोड़ने का भरसक प्रयास किया।

इस कोशिश में वह कई बार चोटिल भी हुआ। उसके पैरों से खून भी निकला, लेकिन वह रस्सी को नहीं तोड़ सका।

काफी प्रयास करने के बाद असफल होकर हाथी ने हार मान ली और असम्भव मानकर रस्सी पर जोर लगाना भी छोड़ दिया।

धीरे-धीरे जब वह बड़ा हुआ, तो भी उसे लगता था कि यह रस्सी उससे नहीं टूटेगी। इसलिए उसने रस्सी को तोड़ने का प्रयास ही नहीं किया। अब जब वह बड़ा हो गया, एक वयस्क और बलवान हाथी के रूप में, तो भी उसी पतली रस्सी में जकड़ा रहा।

असल में उसने रस्सी से हार मान ली है। जबकि, वह किसी भी समय रस्सी को तोड़कर अपने आपको बन्धन से मुक्त कर सकता है।

लेकिन बचपन की हार को जीवन की हार मानकर यह अब कोशिश ही नहीं करता


इस हाथी के समान ही, हम में से जाने कितने लोग ऐसे हैं, जो यह मान लेते हैं, कि वे जीवन में कभी सफल नहीं है सकते। 

वे यह मानकर बैठ जाते हैं जब पहले कोशिश की थी, तब वे असफल रहे थे, आगे भी सफल नहीं होंगे।

कई बार हम लोग किसी काम में एक बार असफल होने पर उसे असंभव मानकर दोबारा नहीं करते। जबकि, असफल होने की वजह हमारी कोशिश में कमी या और कुछ भी हो सकता है।