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हिन्दू – एक संस्कृति एवं सभ्यता

एक बार बादशाह अकबर और बीरबल टहल रहे थे।

रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया ।

बादशाह अकबर ने पूछा – प्रणाम किसे कर रहे हो?

बीरबल ने कहा – यह मेरी माता है।

अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेंक दिया और बोला – कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगों की?

बीरबल को जवाब देने की एक तरकीब सूझी ।

आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला। बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर कहा – जय हो बाप मेरे।

बादशाह अकबर को गुस्सा आया और वह दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगे ।

इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोले – बीरबल ये क्या हो गया?

बीरबल ने कहा – आप ने मेरी माँ को मारा इसलिए ये गुस्सा हो गए ।

अकबर जहाँ भी हाथ लगता खुजली होने लगती।

बादशाह बोले – बीरबल जल्दी कोई उपाय बताओ।

बीरबल बोला – महाराज ! उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ ही कर सकती हैं । उनसे विनती 🙏🙏 करनी पड़ेगी ।

बादशाह अकबर बोले – जल्दी करो ।

आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा गाय से विनती करिए – हे माता दवाई दो 🙏🙏

गाय ने गोबर कर दिया और अकबर के शरीर पर गोबर का लेप करने से उन्हें फौरन खुजली से राहत मिल गई ।

बादशाह अकबर बोले – बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जाएंगे ?

बीरबल ने कहा – नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है, जो कि आपकी मदद करेंगी। वहीं सामने गंगा बह रही थी।

आप बोलिए हर-हर गंगे 🙏🙏 जय गंगा मईया की 🙏🙏 और कूद जाइए।

नहा कर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुएअकबर ने बीरबल से कहा – कि ये तुलसी माता, गौ माता, गंगा माता तो जगत माता हैं।

इनको मानने वालों को ही हिन्दू कहते हैं ।

हिन्दू एक संस्कृति है, एक सभ्यता है ।

कोई सम्प्रदाय नहीं

इसीलिए गौ, गंगा, गीता और गायत्री का सन्मान करना चाहिए, क्योंकि ये सनातन संस्कृति के प्राण स्तंभ हैं ।