यज्ञ एक प्रकार का कर्मकांड है।सर्वश्रेष्ठ गुणों का प्रतीक है, जिससे यज्ञकर्ता अनेक बातें सीखता है।
- अग्नि प्रकाश का प्रतीक है।
- अग्नि की ज्वालाएं ऊपर की ओर जाती हैं, जो हमें सिखाती हैं कि मनुष्य को अपने जीवन में सदा प्रकाश अर्थात ज्ञान की प्राप्ति करनी चाहिए।
- सदैव ऊपर अर्थात प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहें।
- घी से हम आहुति देते हैं।
- घी स्नेह और मित्रता का प्रतीक है।
- सामग्री संगठन का प्रतीक है, जोकि आपस में मिलकर रहना सिखाती है।
- सात्विक भोजन करना चाहिए।
- माता पिता और अध्यापकों का सम्मान करना चाहिए।
- माता पिता से अनावश्यक चीज़ों की मांग नहीं करनी चाहिए।
- बच्चों को संस्कारित करने के लिए यज्ञ की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- यज्ञ से वातावरण सकारात्मक बनता है।
- यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है।
- यज्ञ से प्राणियों का भला होता है।
- अग्नि में घी और सामग्री की जो आहुति प्रदान करते हैं, अग्नि उसे सूक्ष्म करके वायु को प्रदान करती है और वायु शुद्ध होने से सभी प्राणियों को सुख मिलता है।
- यज्ञ के माध्यम से हम परमात्मा से जुड़ते हैं और वातावरण सकारात्मक बनता है।