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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

एक बार एक शिष्य ने अपने गुरु से कहा – “गुरुदेव, मैं अपने कठिनतम लक्ष्य कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ?”

गुरु जी ने उसे भरोसा दिया कि वह आज रात उसकी इस बात का जवाब देंगे।

शिष्य हर रोज शाम को गागर भरकर जल लाता था, ताकि रात को उसका इस्तेमाल हो सके। लेकिन गुरु जी ने उस शाम उसे पानी भरकर लाने से मना कर दिया। रात को शिष्य ने गुरुदेव को अपने सवाल की याद दिलाई।

गुरु जी ने शिष्य को एक लालटेन दी और कहा – “जाओ, पहले नदी से इस गागर में पानी भर लाओ।

उस दिन अमावस्या थी और अंधेरे की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। वह शिष्य कभी इतनी अंधेरी रात में बाहर नहीं गया था।

अतः उसने कहा – “गुरु जी, नदी तो यहां से बहुत दूर है और इस लालटेन के प्रकाश में केवल दो कदम तक भी साफ दिखाई नहीं देता है। भला मैं इतना लंबा सफर अंधेरे में कैसे तय करूंगा ? आप सुबह तक प्रतीक्षा कीजिए, मैं सुबह गागर भर लाऊंगा।’

गुरु जी ने कहा – ” जल की आवश्यकता अभी है, इसलिए अभी जल भरकर लाओ।”

शिष्य ने कहा कि अंधेरे में जल लाना सम्भव ही नहीं है।

गुरु जी ने कहा – ” अरे मूर्ख, अंधेरे को क्यों देखता है ? रोशनी को देख और आगे बढ़। रोशनी तेरे हाथों में है और तू अंधेरे से डर रहा है !”

गुरु जी के ऐसे वचन सुनकर शिष्य आगे बढ़ा तो प्रकाश भी आगे बढ़ गया। बस फिर क्या था ! शिष्य आगे बढ़ता रहा और गागर भरकर लौट आया।

शिष्य ने आकर कहा कि अब मेरे सवाल का जवाब दीजिए।

गुरुजी ने कहा – “मैंने तो तेरे सवाल का जवाब दे दिया है, लेकिन शायद तेरी समझ में नहीं आया।”

गुरु जी ने समझाया – “यह दुनिया एक अंधेर नगरी है, जिसमें हर एक क्षण एक लालटेन की रोशनी की तरह मिला हुआ है। अगर हम हर उस क्षण का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ेंगे तो आनन्दपूर्वक अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। किंतु यदि भविष्य का अंधकार देखकर कोशिश करने से पहले ही घबरा जाएंगे तो कभी भी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे।”

सीख :- कई बार हम कठिन लक्ष्य देखकर उसे पाने की कोशिश करने से पहले ही उसे असंभव मानने लगते हैं। हकीकत यह है कि हर क्षण का इस्तेमाल करके कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।