अनौपचारिक पत्र : मित्र को धन्यवाद पत्र
ग्रीष्मावकाश में आपके पर्वतीय मित्र ने आपको आमंत्रित कर अनेक दर्शनीय स्थलों की सैर कराई। इसके लिए उसका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद-पत्र।
परीक्षा भवन
नई दिल्ली-110064
दिनांक : 1 सितंबर 2008
प्रिय गौरव
मधुर स्मृति !
कैसे हो? आशा है कि तुम हिमाचल की बर्फीली वादियों जैसे होगे। जब से तुमने मुझे मनाली और रोहतांग दरें की सैर कराई है, तब से मेरे मन में सदा उन बर्फीली पहाड़ियों के दृश्य उभर आते हैं। मुझे रह-रहकर बर्फीली चोटियों की याद आती है तो कभी हिडिंबा का मंदिर याद आता है। तुम्हारे साथ देखे गए मनाली से रोहतांग तक के खूबसूरत रास्ते मुझे कभी भुलाए नहीं भूल सकते। मेरे लिए जीवन के सबसे सुंदर और सुहाने पल यही हैं।
प्रिय मित्र! तुम्हारी वजह से ही मैं इन खूबसूरत दर्शनीय स्थलों का आनंद उठा सका। इसके लिए मेरे पास धन्यवाद के शब्द नहीं। अब तुम गर्मियों की छुट्टियों में हमारे घर आने का कार्यक्रम बना लेना कहीं और जाने का नहीं। तुम मुझसे वादा कर चुके हो।
मेरी ओर से अंकल, आंटी को नमस्ते कहना।
तुम्हारा मित्र
क०ख०ग०