अपठित गद्यांश : मां गंगा
गंगा हमारी प्रवाहमान संस्कृति का प्रतीक है। अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक, परम्पराओं को आँचल में लिए गंगा अनंतकाल से, स्नेहमयी जननी की भाँति भारतीयों के जीवन का पोषण करती रही है।
वास्तव में गंगा बिना भारत की कल्पना अधूरी है। भारतवासी सबसे विरक्त हो सकता है, सबकी उपेक्षा कर सकता है, मगर गंगा से वह अपना नाता नहीं तोड़ सकता। गंगा भारत माँ का शरीर, सजीव ममता है। ममता की अविरल धारा है। भारतवासी बड़ा भाग्यवान है, वह एक न एक दिन गंगा की धारा पकड़कर समुद्र तक चला जाता है और सारे जगत के तट पर पहुँच जाता है। इतिहास ने साक्षी दी और पंडित जी की कलम से गंगा की महिमा में उद्गार निकले। शायद ही किसी कवि की वाणी में ऐसा रस-निर्झर बहा होगा और धार्मिक से धार्मिक हिन्दू ने भी शायद ही कभी गंगा को हृदय से ऐसी श्रद्धांजलि अर्पित की होगी। गंगा का द्वार सबके लिए खुला रहता है। शरीर हम संसार को चढ़ाते हैं और उसकी राख चढ़ाते हैं गंगा को और गंगा उसे स्वीकार कर लेती है पूरे जतन से।
प्रश्न 1. गंगा भारतीयों का पालन-पोषण किसकी तरह करती है?
(क) बाय माँ की तरह
(ख) दादी माँ की तरह
(ग) नानी माँ की तरह
(घ) ममतामयी माँ की तरह
प्रश्न 2. गंगा अपने आँचल में क्या लिए हुए हैं?
(क) पानी
(ख) धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराएँ
(ग) राजनैतिक एवं घरेलू परम्पराएँ
(घ) पर्वतीय एवं मैदानी परंपराएँ।
प्रश्न 3. भारतवासी को भाग्यवान क्यों कहा गया है?
(क) क्योंकि वह गंगा में नहाता है
(ख) क्योंकि वह गंगा के किनारे बसता है
(ग) क्योंकि वह गंगा के सहारे सारे-जगत के तट पर पहुँच जाता है
(घ) क्योंकि वह गंगा में मिल जाता है।
प्रश्न 4. उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक निम्नलिखित में से क्या है?
(क) प्रवाहमान संस्कृति
(ख) गंगा और समुद्र
(ग) गंगा की महिमा
(घ) गंगा को श्रद्धांजलि।
प्रश्न 5. ‘भारतवासी सबसे विरक्त हो सकता है, किंतु गंगा से अपना नाता नहीं तोड़ सकता’ कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए।
कथन (I) : गंगा के बिना भारत की कल्पना अधूरी है।
कथन (II): गंगा ममता की अविरल धारा है।
कथन (III) : गंगा का द्वार सबके लिए खुला रहता है।
कथन (IV) : गंगा का उद्गम स्थल मानसरोवर है।
विकल्प-
(क) कथन (1) सही है।
(ग) कथन (II) और (III) सही हैं।
(ख) कथन (II) सही है।
(घ) कथन (I), (II) तथा (III) सही हैं।