अनुच्छेद लेखन : समाचार-पत्रों का महत्व
समाचार-पत्र शिक्षा एवं ज्ञान के क्षेत्र में क्रांति का माध्यम है। यह शिक्षा एवं साक्षरता के विकास में सहायक सिद्ध हुआ है। भारत में समाचार-पत्रों का प्रचलन अंग्रेजों के जमाने में ही आरंभ हो गया था। प्रथम समाचार पत्र ‘बंगाल गजट’ कोलकाता से अंग्रेजी भाषा में निकला था। आज अनेक भाषाओं में अनेक समाचार-पत्र बाजार में उपलब्ध हैं। मनुष्य की स्वभावगत विशेषता है उसका जिज्ञासु होना। रात्रि में वह चैन की नींद सोकर प्रातःकाल उठता है तो शीघ्र ही अपने आस-पास के वातावरण के बारे में जानने का प्रयास करता है। चाय की चुस्कियों के साथ देश-विदेश की खबरों को जानने के लिए वह समाचार-पत्र का सहारा लेता है। समाचार-पत्रों में हर व्यक्ति की रुचि एवं आवश्यकता के अनुसार खबरें मिलती हैं। चाहे नौकरी के लिए विज्ञापन हो चाहे शादी-विवाह का और चाहे अपने उत्पाद बेचने का समाचार-पत्रों से सस्ता एवं सुलभ साधन उपलब्ध नहीं हो सकता। इसके माध्यम से घर बैठे-बैठे देश-विदेश की खबरों का एवं आविष्कारों का पता चल जाता है। खेलों का शौक रखनेवालों को खेलकूद की जानकारियाँ, राजनीति पसंद करनेवालों को राजनैतिक गतिविधियाँ, शेयर बाजार, फिल्म-उद्योग, बाजार भावों की जानकारियाँ, भविष्यफल, परीक्षाफल और न जाने कितने तरह के समाचार समाचार-पत्रों के माध्यम से ज्ञात हो जाते हैं। समाचार-पत्र हमारे सामान्य ज्ञान, शिक्षा एवं बुद्धि का विकास करते हैं। हम आत्म-विश्वास से समाज में घटित हो रही घटनाओं पर परिचर्चा कर सकने में सक्षम होते हैं। समाचार-पत्र समाज में व्याप्त बुराइयों का पर्दाफाश करते हैं। बड़े-बड़े भ्रष्टाचारियों के काले कारनामों को उजागर करते हैं। समाचार-पत्रों का निष्पक्ष होना अत्यावश्यक है। किसी नेता या पूँजीपति के हाथ का खिलौना न बने। कलम में वह शक्ति होती है जो तलवार में भी नहीं होती। आजकल कई समाचार-पत्र अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए झूठी खबरों, अश्लील चित्रों एवं विज्ञापनों का सहारा लेते हैं।